जिंदगी में इंसान उस वक्त बहुत टूट जाता है, अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो…” मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ !! कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी क्यूँ https://youtu.be/Lug0ffByUck